RBI के नए नियमों में बदलाव, 1 जनवरी से आपके बैंक खाते में लागू होंगे नए नियम

RBI के नए नियमों में बदलाव, 1 जनवरी से आपके बैंक खाते में लागू होंगे नए नियम

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंक खातों में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जो देश के सभी खाताधारकों के लिए एक स्वागत योग्य खबर है। इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य ग्राहक सुरक्षा सुनिश्चित करना और बैंकिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, खासकर निष्क्रिय खातों के मामले में।

न्यूनतम बैलेंस नियम में प्रमुख बदलाव

RBI के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब बैंकों को उन निष्क्रिय खातों पर जुर्माना लगाने की अनुमति नहीं है, जिनमें 24 महीने से अधिक समय तक कोई लेन-देन नहीं हुआ है। यह बैंकिंग नीति में एक बड़ा बदलाव है, जो निष्क्रिय खातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की समस्या को समाप्त करेगा। विशेष रूप से, केंद्रीय बैंक ने यह निर्देश दिया है:

निष्क्रिय खातों को न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के शुल्क से छूट दी जाएगी।

24 महीने से अधिक समय तक जिन खातों में लेन-देन नहीं हुआ है, उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) खातों को निष्क्रिय नहीं माना जाएगा, भले ही वे लंबे समय से उपयोग में न हों।


ग्राहकों की सुरक्षा

RBI के दिशा-निर्देश केवल शुल्क माफ करने तक सीमित नहीं हैं। बैंकों को अब ग्राहकों को सावधान करना होगा:

SMS, पत्र, या ईमेल के माध्यम से ग्राहकों को खाते की निष्क्रियता के बारे में सूचित करना होगा।

यदि प्राथमिक खाता धारक प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो पंजीकृत व्यक्ति से संपर्क किया जाएगा।

निष्क्रिय खाते को पुनः सक्रिय करने के दौरान किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा।


पहले जुर्माना कैसे लगाया जाता था

पहले, बैंक न्यूनतम बैलेंस न रखने पर जुर्माना लगाते थे और जब खाते में पैसा जमा होता था, तो सीधे वह जुर्माना काट लिया जाता था। उदाहरण के लिए, यदि ₹1,000 जुर्माना लगाया गया और ग्राहक ₹5,000 जमा करता, तो बैंक पहले ₹1,000 काटकर ₹4,000 खाते में छोड़ देता।

ग्राहक सुरक्षा उपाय

नए निर्देश बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहक सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। निष्क्रिय खातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाना बंद करके, RBI का उद्देश्य है:

बिना दावे वाली जमा राशि को कम करना।

बैंकिंग प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना।

ग्राहकों को अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचाना।


ग्राहकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने बैंक खातों की नियमित रूप से समीक्षा करें, यह सुनिश्चित करें कि न्यूनतम बैलेंस बनाए रखा गया है और खाते को सक्रिय रखने के लिए समय-समय पर लेन-देन करें।

निष्कर्ष:

RBI के ये नए निर्देश ग्राहक-केंद्रित बैंकिंग नीति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हैं और पूरे भारत में खाता धारकों के लिए सुरक्षा और राहत प्रदान कर रहे हैं।


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